Sex Power Badhane Ki Ayurvedic Aushadhiyan
सेक्स पाॅवर बढ़ाने की आयुर्वेदिक औषधियाँ-
नामर्दी, नपुंसकता, ध्वजभंग
Napunsakta Ka Ilaj, Namardi Ka Ilaj, Treatment of Impotency, Erectile Dysfunction
परिचय- लिंग का उत्तेजित न होना ही ध्वजभंग कहलाता है। ऐसा व्यक्ति संभोग करने में असमर्थ होता है। वह पुरूष होकर भी एक मर्द की भांति संभोग नहीं कर पाता है, इसलिए इसे नामर्दी भी कहते हैं।
कारण-
असंयमित जीवन जीना, अत्यधिक स्त्री प्रसंग(संभोग) करना, चोट लगना, शरीर में मेद(चर्बी) की वृद्धि होना, संभोग में भय लगना, किसी जटिल रोग से ग्रस्त होना, अण्डकोषों का छोटा होना या किसी भी कारण से उसे कटवा देना, बहुमूत्र, अजीर्ण या अग्निमांद्य, हर्निया, अधिक दिनों तक कर्पूर या किसी तेज औषधि का प्रयोग करना, अति मद्यपान, अफीम का दुष्प्रयोग करना आदि प्रमुख कारण हैं।
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लक्षण-
इसमें संभोग क्षमता का अभाव हो जाता है। यद्यपि संभोग की इच्छा बलवती होती है, लेकिन शारीरिक क्षमता नहीं रहती है। इसका कारण है कि संभोग से दूर रहना चाहता है। यदि पत्नी की इच्छा हो तो पुरूष कोई न कोइ बहाना बनाकर संभोग करने को टाल देता है। यदि कभी-कभार संभोग करने के लिए तैयार हो भी जाये तो जल्दी ही सांस फूलने लगती है और तुरन्त संभोग कार्य को रोक देता है और अलग होकर हांफने लगता है। पसीना जमकर आने लगता है। इन्द्री शिथिल हो जाती है, जिससे रोगी लज्जित होकर दुःखी हो जाता है। वह कुछ करने में भी असमर्थ होता है, क्योंकि उसका दिमाग बराबर इस समस्या में उलझा रहता है। बीच-बीच में इस प्रकार की अशांति के कारण चक्कर आते हैं। सिरदर्द भी होता है। दिल की धड़कन तेज होती है। कब्ज़ की शिकायत रहती है। पाचन विकार भी हो जाते हैं। इस प्रकार के विचारों में डूबे रहने से रात को नींद भी नहीं आती है। शरीर दिनानुदिन खिन्न होता जाता है। चेहरे की चमक समाप्त हो जाती है।
नपुंसकता के भेद :
नपुंसकता दो प्रकार की होती है-
1. ऐसी नपुंसकता जो स्वअर्जित हो एवं इसके पीछे मुख्य वे कारण होते हैं, जिनकी चर्चा की जा चुकी है।
2. इस श्रेणी में वे रोगी आते हैं, जो स्वयं तो दोषी नहीं होते हैं, लेकिन इसका कारण रोगी के पिता का वीर्य होता है। पिता के निर्बल वीर्य ने पूर्ण पुरूषत्व प्रदान नहीं होता है। ऐसे ‘नपुंसक’ प्रायः ठीक नहीं होते हैं। इस श्रेणी में हिजड़े आते हैं।
प्रथम श्रेणी की नपुंसकता साध्य होती है। यह चिकित्सा से ठीक हो जाती है, जबकि द्वितीय श्रेणी की नपुंसकता असाध्य होती है।
इनके अतिरिक्त एक और प्रकार ‘मानसिक नपुंसकता’ है। वस्तुतः रोगी शारीरिक रूप से संभोग के योग्य होता है, लेकिन उसे मानसिक वहम होता है कि मैं संभोग नहीं कर सकूंगा या फिर मैं स्त्री के संग संभोग लायक ही नहीं हूं। यदि ऐसे रोगी, स्त्रियों के गुप्तांगों के वस्त्र एकांत में देखते हैं या किसी स्त्री या लड़की को नग्नावस्था में देखते हैं तो उनके लिंग में उत्तेजना आती है और संभोग के लिए तैयार होता है, तो लिंग शिथिल हो जाता है।
नपुंसक रोगियों के लिए पथ्य-
शाक वर्ग- शलजम, केला, आलू, प्याज, भिण्डी, मूली, साबूदाना, अदरक, चुकन्दर, लौकी, परमल, बथुआ, पालक आदि।
फल वर्ग- अंगूर, आम, मीठा अनार, गाजर, केला, खरबूजा, सेब, आंवला तथा शकरकन्द आदि।
ड्राई फ्रूट्स- बादाम, चिलगोजे, छुआरे, चिरौंजी, नारियल, पिस्ता, अखरोट, खजूर, तिल, किशमिश, मुनक्का तथा खरबूजे की गिरी आदि।
नपुंसकता की आयुर्वेदिक औषधियाँ-
1. बंग भस्म- 60 से 120 मि.ग्रा. प्रति मात्रा मक्खन या मिश्री के साथ नित्य देकर ऊपर से मिश्री मिला दूध सुबह-शाम दें। 3 से 4 दिन सेवन करने से कामवासना बढ़ जाती है।
2. मल्लसिन्दूर- 60 से 120 मि.ग्रा. अदरक के रस एवं शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से शारीरिक शक्ति एवं कामशक्ति की वृद्धि होती है।
3. सुवर्ण भंग- 125 मि.ग्रा. सेमरकन्द का चूर्ण 6 ग्राम मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से शुक्र की वृद्धि होती है एवं मैथुन इच्छा तीव्र होती है। नित्य दो मात्रायें दें।
4. अश्वकंचुकी- 1-1 गोली नित्य दो बार शतावरी चूर्ण मिलाकर धारोष्ण गोदुग्ध के साथ सेवन करने से शुक्र की वृद्धि होती है।
5. कल्याणरस- चैथाई से एक ग्राम नित्य सुबह-शाम दें।
6. कामधेनु- चैथाई से आधा ग्राम नित्य सुबह-शाम धारोष्ण गोदुग्ध के साथ अथवा असमान मात्रा में शहद और घी के साथ दें।
Sex Power Badhane Ki Ayurvedic Aushadhiyan
7. कामाग्नि संदीपन- रस आधा ग्राम मक्खन, मलाई या शहद के साथ नित्य सुबह-शाम दें। इससे तेज, ओज एवं कामशक्ति को वृद्धि होती है।
8. चन्द्राकान्ति रस- 1-1 गोली प्रतिदिन दो बार आंवला स्वरस और शहद अथवा केवल शहद के साथ देने से समस्त प्रकार के प्रमेह का नाश होता है।
9. नवजीवन रस- 1-1 गोली सुबह-शाम प्रवाल भस्म मिलाकर मलाई या मक्खन के साथ(मिश्रित करके) खाने से वीर्य की वृद्धि होकर कामशक्ति की वृद्धि होती है।
10. पुष्पधन्वा रस– 1-1 गोल सुबह-शाम मिश्री में उबाले हुए दूध या मक्खन मिश्री के साथ दें। यह बलवीर्यवर्धक एवं कामोत्तेजक है। यह स्त्रियों के बीजाशय को भी शुद्ध करती है। यदि किसी पुरूष को मानसिक क्षोभ, क्रोध या मानसिक आघात के कारण नपुंसकता हो तो इसे दें।
11. शुक्रवल्लभ रस- 2 से 4 गोली नित्य सुबह-शाम मिश्री वाले शुष्म दूध के साथ देें। इससे वीर्य संबंधी समस्त विकार दूर हो जाते हैं और नामर्द भी मर्द बन जाता है।
12. सिद्धवरदामृत रस- 60 से 120 मि.ग्रा. पान अथवा अदरक के रस और शहद के साथ दें।
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