Napunsakta Door Karne Ki Rambaan Aushadhiyan
नपुंसकता दूर करने की रामबाण औषधियाँ
नामर्दी क्या होती है?
Napunsakta Ka Ilaj, Namardi Ka Ilaj, Treatment of Impotency, Erectile Dysfunction
इस रोग में पुरूष संभोग के लायक नहीं रहता। जब कोई पुरूष, स्त्री के साथ संभोग की सोचे और उसके लिंग में उत्थान न आये, तो यह नामर्दी के लक्षण हैं। ऐसे पुरूष, स्त्री के समीप जाने से भी कतराते हैं। उन्हें लगता है कि वह किसी भी स्त्री के लायक नहीं हैं। नामर्दी के शिकार पुरूषों के लिंग में उत्थान आता ही नहीं और अगर आता भी है तो जल्दी ही शीतल भी पड़ जाता है, जिस कारण स्त्री संतुष्ट नहीं हो पाती है वह अपनी ओर से चेष्टा भी करे, तो भी पुरूष के लिंग में कठोरपन नहीं आ पाता है। यही सब प्रक्रिया नामर्दी यानी नपुंसकता कहलाती है।
मर्दाना कमजोरी और नपुंसकता की रामबाण औषधियाँ-
1. मीठी निर्बसी, लौंग, पान की जड़, शतावरी, शुद्ध शीलाजीत, सफेद मूसली, सालब मिश्री, सफेद प्याज के बीज, उटगंन के बीज, चिड़े का मस्तिष्क प्रत्येक 6 ग्राम, शुद्ध कुचला, विशुद्ध केसर, लौह भस्म, चांदी भस्म प्रत्येक 3 ग्राम, कस्तूरी, अफीम प्रत्येक डेढ़ ग्राम। इन सब दवाओं को मैदा के समान बारीक खरल करके मुर्गी के अण्डे की जर्दी मिलाकर भली-भांति घोंट कर काली मिर्च के बराबर गोलियां बना लें। प्रतिदिन रात को सोते समय या सायं 2 से 4 गोलियां 375 मि.लि. गाय के दूध के साथ जिसमें मुर्गी के अण्डे की जर्दी और मधु 36 ग्राम मिलाकर भली प्रकार फेंट लिया गया हो, पिलायें।
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गुण- मर्दाना शक्ति उत्पन्न करना और गई गुजरी जवानी और शक्ति को वापस लाना इन गोलियों का विशेष चमत्कार है। इसके अतिरिक्त ये गोलियां स्नायु दुर्बलता को दूर करती हैं और स्तम्भन शक्ति उत्पन्न करती हैं। हस्तमैथुन करने वाले नपुंसकों के लिए बहुत ही लाभप्रद हैं।
Napunsakta Door Karne Ki Rambaan Aushadhiyan
2. लौह भस्म सौपुटी 6 ग्राम, सफेद संखिया 1 ग्राम, शुद्ध कुचला 3 ग्राम, सफेद कत्था 12 तोला- सबको 6 घण्टे तक जोर से खरल करें और मधु में घोंटकर 125 मि.ग्रा. की गोलियां बना लें। 1-1 गोली भोजनोपरांत दोनों समय खिलायें।
गुण- ये गोलियां जबर्दस्त मर्दाना शक्ति उत्पन्न करती हैं और हस्तमैथुन के लिए लाभप्रद हैं।
3. कबाबचीनी, अजवायन खुरासानी, जटामांसी, तज, कौंच के बीजों की गिरी, दालचीनी, मस्तगी, छड़ेला प्रत्येक 4 ग्राम, मीठी इन्द्रजौ, जायफल प्रत्येक 6 ग्राम, सालब मिश्री 9 ग्राम, खसखस के डोडे 10 ग्राम, काला दाना 20 दाने, लाल तोदरी, पीली तोदरी, लाल बहमन, सफेद बहमन, भंग के पत्ते, सफेद मूसली, काली मूसली प्रत्येक 3 ग्राम। सबको कूट-छानकर चिड़े का मस्तिष्क घी में भुना 12 ग्राम को पीसकर मधु 36 ग्राम में मिलाकर केसर 4 ग्राम, कस्तूरी 375 मि.ग्रा. को अर्क बेदमुश्क में घोंटकर बाकी दवाओं में मिलायें। यह दवा 6 ग्राम की मात्रा में प्रातः 375 ग्राम गाय के दूध के साथ खिलायें। बाद में दूध में मधु 24 ग्राम मिला दिया करें।
4. जायफल, लौंग, जावित्री, मीठे इन्द्रजौ, चिड़े का मस्तिष्क, सौंठ, कौंच के बीजों की गिरी, मस्तगी, औद, लाल बहमन, सफेद बहमन, पीली तोदरी, लाल तोदरी, सफेद मूसली, काली मूसली, शलजम के बीज, प्याज के बीज, दालचीनी, पान की जड़, तालमखाना के बीज, पीपल, गाजर के बीज, सालब मिश्री, शतावरी, छोटी इलायची के बीज, सूखा पोदीना, तबासीर, छोटा गोखरू प्रत्येक 4 ग्राम। सबको कूट-छान लें। चिरौंजी की गिरी, छिली हुई नारियल की गिरी, मीठे बादामों की गिरी बिना छिलका, चिलगोजा की गिरी, पिस्ते की गिरी, अखरोट की गिरी, खरबूजे के बीजों की गिरी, पिस्ते की गिरी, अखरोट की गिरी, खरबूजे के बीजों की गिरी, छुहारा प्रत्येक 6 ग्राम। सबको पीसकर मधु 250 ग्राम तथा 250 ग्राम खांड की चाश्नी तैयार करके उपरोक्त तमाम दवायें मिलायें। उसके पश्चात् केसर 3 ग्राम को गुलाब जल में घोंटकर और 50 चांदी के वर्क मिलाकर पाक बना लें। 6 से 12 ग्राम तक यह दवा गाय के दूध के साथ खिलायें। यह दवा मर्दाना ताकत को बढ़ाने और उत्तेजना देने वाली हृदय, मस्तिष्क और यकृत को शक्ति देने वाली, स्नायु को पुष्ट करने वाली और वीर्य उत्पन्न करने वाली है।
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