Ayurved Se Namardi Bhagayen Mardangi Jagayen
आयुर्वेद से नामर्दी भगायें मर्दानगी जगायें
नामर्दी(Impotency)-
Napunsakta Ka Ilaj, Namardi Ka Ilaj, Treatment of Impotency, Erectile Dysfunction
संभोग करने में असमर्थ होना, सेक्स न कर पाना हो नामर्दी कहते हैं। इसके मुख्य दो कारण हैं पहला लिंग की शिथिलता और शरीर में वीर्य का अभाव होना। इन कारणों के भी कई कारण हैं जैसे- अति संभोग, हस्तमैथुन आदि। कभी-कभी यह रोग मानसिक भी होता है। यदि किसी के लिंग में कड़ापन आता है और लिंगोत्थान होता है, लेकिन सेक्स के समय शिथिल हो जाता है, तो इसे मानसिक नपुंसकता कहते हैं।
नामर्दी, नपुंसकता की आयुर्वेदिक चिकित्सा-
–सर्वप्रथम रोगी का निरीक्षण एवं परीक्षण करें। यदि रोगी शारीरिक रूप से निर्बल हो, तो पौष्टिक आहार एवं पौष्टिक औषधियों से शरीर को स्वस्थ, हृष्ट-पुष्ट एवं वीर्यवान बनायें।
–यदि मानसिक रूप से नपुंसक हो तो कामकला की शिक्षा एवं प्रोत्साहन दें। रोगी को प्रोत्साहित करें कि वह सेक्स करने में समर्थ हो जायेगा।
–किसी भी प्रकार की खटाई, चटपटे एवं तीखे आहार तथा पेय मत लें।
–गाय के दूध में मिश्री मिलाकर नित्य सुबह पान करें। साथ ही सुविधानुसार निम्न योगों में से जो सरल एवं सुलभ हों, उन्हें प्रयोग करें।
1. अकरकरा उत्तमोत्तम कामोत्तेजक औषधि है। इसके सेवन के साथ-साथ इसके तेल का पुरूष जननेन्द्रिय पर लेप करने से शीघ्र लाभ होता है।
2. अगार को चोयपान में लगाकर खाने से अत्यधिक कामोत्तेजना होती है। बाजीकरण औषधियों में मिलाकर इसे दिया जाता है।
Ayurved Se Namardi Bhagayen Mardangi Jagayen
3. अपामार्ग की जड़ का चूर्ण 6 ग्राम और बंग भस्म 250 मि.ग्रा. मिलाकर नित्य दो मात्रायें लेने से प्रबल कामोद्दीपन होता है। औषधि लेने के बाद मिश्री मिलाकर गाय का दूध दें।
4. सेमल मूसली के चूर्ण के साथ या भांग के चूर्ण के साथ या चीनी मिले शहद के साथ अभ्रक भस्म 250 मि.ग्रा. मिलाकर नित्य लेने से नामर्द भी मर्द बन जाता है।
5. असगंध, सेमल की मूसली, शतावर, चीते की जड़, सफेद मूसली, तालमखाना के बीज, बिदारीकन्द, कौंच के बीज और कमलकन्द समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। जितना चूर्ण हो उसकी आधी में निश्चन्द्र अभ्रक भस्म मिला लें। 3 से 5 ग्राम मिश्री मिले दूध के साथ सुबह-शाम दें।
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6. सोने के वर्क, पीसे हुए मोती और अम्बर को शहद में मिलाकर चाटने से रति शक्ति की वृद्धि होती है।
7. गाय का घी एक किलो कढ़ाई में डालकर खूब गर्म करें। साफ किया हुआ आक(मदार) का नया पत्ता 1-1 डालते जायें, जिससे वह जलते जायें। इस प्रकार 100 पत्ते जला लें। ठंडा होने पर छान लें। नित्य 20 ग्राम घी दूध या रोटी के साथ सेवन करने से कफ प्रकृति के नपुंसकों को आशातीत लाभ होता है और मैथुन शक्ति की पूर्ण जागृति होती है। यह आन्त्र कृमिनाशक भी है।
8. आक के दूध में गाय का घी मिलाकर 12 प्रहर तक खरल करें। 125 मि.ग्रा. घी की नित्य मूत्रेन्द्रिय पर मालिश करने से हस्तमैथुन से उत्पन्न नपुंसकता में लाभ होता है।
9. ऊँटकटारा की जड़ की छाल 10 ग्राम पीसकर पोटली में बांधकर आधा लीटर गाय के दूध और 1 लीटर पानी में औटायें। उसमें चार खारक भी डाल दें। जब पानी जलकर मात्र दूध रह जाये, तो उस पोटली को निकाल कर दूध रोजाना पी लिया करें। यह दूध अत्यंत कामशक्तिवर्धक है। नपुंसकता में भी लाभ होता है।
10. मालकांगनी के तेल की बूंदें नागरबेल के पान में लगाकर दिन में 2-3 बार खाने से नपुंसकता में लाभ होता है। इस योग के सेवनकाल में दूध, घी पर्याप्त मात्रा में लें।
11. बड़ी कटेरी की ताजा जड़ की छाल 35 ग्राम गाय के दूध में अच्छी प्रकार उबाल कर नित्य पीने से खोई हुई मर्दानगी वापस आ जाती है।
नोट- खटाई एवं गैस बनाने वाली सब चीजों से सख्त परहेज रखें।
12. करेले के पत्ते और करेले के रस को आग पर खुश्क करके 3-3 ग्राम की गोलियां बना लें। 1-1 गोली नित्य सुबह और रात को सोने से पहले गाय के दूध के साथ निगल कर ऊपर से थोड़ा-सा शहद चाट लें। इससे संभोग शक्ति और स्तम्भन शक्ति की वृद्धि होती है।
Ayurved Se Namardi Bhagayen Mardangi Jagayen
13. यदि रोगी में वीर्य की कमी हो गयी हो, वीर्य की कमी से स्त्री की इच्छा नहीं होती हो और वीर्य की कमी से जो मनुष्य नामर्द हो गया हो, तो मृगनाभ्यादिक वटी 1 से 2 गोली मलाई के साथ नित्य रात को सोने से पहले दें।
14. नपुंसक रोगी खजूर का नियमित सेवन करें, यह कामोद्दीपक है।
15. कौंच के बीजों का चूर्ण उत्तम कामोद्दीपक है। इसे मिश्री मिले गाय के दूध के साथ सुबह-शाम लेने से कामोत्तेजना बढ़ती है। वानरी वाटिका, कौंच पाक और वानरी चूर्ण आदि भी उत्तम नपुंसकतानाशक हैं।
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